AI पूरी दुनिया में काम करने का तरीका बदल रही है। भारत भी इससे बचा नहीं है। अब बड़ा सवाल ये है कि AI और भारत में नौकरियाँ कैसे बदलेंगी—क्या AI पुरानी जॉब्स खत्म करेगी या नए मौके बनाएगी?
एक्सपर्ट लोग बोल रहे हैं कि कस्टमर सर्विस, डेटा एंट्री, बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग वगैरह में AI धड़ाधड़ ऑटोमेशन ला रहा है। इससे पुरानी वाली नौकरियाँ तो कट सकती हैं। अभी डेलॉइट की रिपोर्ट आई है, उसमें लिखा है कि 2030 तक इंडिया में करीब 3 करोड़ जॉब्स पर AI-ऑटोमेशन का सीधा असर पड़ेगा।
AI और भारत में नौकरियाँ: सबसे ज़्यादा खतरे में कौन?
देख भाई, AI से सबसे ज़्यादा खतरा उन्हीं जॉब्स को है जहाँ बार-बार वही रूटीन वाला काम करना पड़ता है। मशीनें ये काम न सिर्फ तेज़ करती हैं बल्कि सस्ता भी पड़ता है।
आजकल तो चैटबॉट्स और वॉइस असिस्टेंट 24 घंटे ऑनलाइन बैठे रहते हैं — तुरंत जवाब दे देते हैं, हजारों सवाल एक साथ निपटा देते हैं, और मज़े की बात ये कि इन्हें नींद भी नहीं आती। इसीलिए कंपनियाँ धीरे-धीरे इंसानी कस्टमर एजेंट्स की जगह इन्हें रख रही हैं।
डेटा एंट्री का हाल तो और भी बुरा है। पहले घंटों लग जाते थे, अब सॉफ्टवेयर वही काम चुटकियों में कर देता है।
कारखानों में भी रोबोट्स घुस चुके हैं। ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी फैक्ट्रियों में तो ये बड़ी संख्या में इंसानों की जॉब्स खा रहे हैं।
बैंकिंग में भी KYC, लोन अप्रूवल, फ्रॉड पकड़ना—सब कुछ AI से होने लगा है। मतलब बैक-ऑफिस की कई नौकरियाँ रिस्क पर हैं।
और सुन, अब तो सेल्फ-ड्राइविंग ट्रक्स और ड्रोन डिलीवरी भी ट्रायल से बाहर निकल रहे हैं। अगर ये पब्लिक लेवल पर चल पड़े तो सोच ले, कितने ड्राइवर और डिलीवरी वाले बेरोज़गार हो सकते हैं।
AI और भारत में नौकरियाँ: कहाँ खुल रहे हैं नए अवसर?
AI से सिर्फ जॉब्स कट ही नहीं रही हैं, नए मौके भी खुल रहे हैं। जिनके पास डिजिटल और टेक्निकल स्किल्स हैं, उनका फ्यूचर तो और भी ब्राइट लग रहा है।
AI एल्गोरिद्म, मशीन लर्निंग मॉडल और स्मार्ट ऐप्स बनाने वालों की डिमांड तो जबरदस्त है। कंपनियाँ अब उन्हीं इंजीनियर्स को हाथों-हाथ ले रही हैं जो AI वाले सॉल्यूशन निकाल सकें।
आजकल डेटा तो नई करेंसी बन गया है। डेटा साइंटिस्ट्स और एनालिस्ट्स ही कंपनियों को काम का ज्ञान निकालकर सही बिज़नेस डिसीजन लेने में मदद कर रहे हैं।
साथ ही, जैसे-जैसे ऑनलाइन पेमेंट और प्लेटफ़ॉर्म्स पर भरोसा बढ़ रहा है, साइबर अटैक का खतरा भी बढ़ रहा है। इसलिए साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की बहुत मांग है, जो AI बेस्ड सिक्योरिटी सिस्टम बना और संभाल सकें।
और सुन, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर हेल्थकेयर और खेती-बाड़ी तक रोबोट्स धड़ल्ले से घुस रहे हैं। इन्हें बनाने, प्रोग्राम करने और ठीक रखने के लिए रोबोटिक्स इंजीनियर चाहिए होंगे।
डिजिटल मार्केटिंग का तो पूरा खेल ही बदल गया है। अब कंपनियों को ऐसे लोग चाहिए जो AI की मदद से पर्सनलाइज्ड कैंपेन चला सकें और बढ़िया कंटेंट बना सकें।
भारत की स्थिति
AI और भारत में नौकरियाँ को लेकर सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि इंडिया आईटी और सर्विस इंडस्ट्री का हब माना जाता है। यहां की यंग पॉपुलेशन तो टेक्निकल करियर को लेकर बहुत ही जोश में रहती है। इसी वजह से AI और उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी इंडिया के लिए खतरे से ज़्यादा मौक़े लेकर आई है।
NASSCOM की रिपोर्ट कहती है कि 2026 तक इंडिया में करीब 9 लाख नई जॉब्स AI, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और बाकी नई टेक्नोलॉजी की वजह से बनेंगी। यानी एक तरफ पुरानी नौकरियों पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन दूसरी तरफ डिजिटल इकॉनमी में करियर के ढेरों मौके भी मिलेंगे।
साथ ही, सरकार और प्राइवेट कंपनियाँ मिलकर युवाओं को री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग प्रोग्राम्स के जरिए तैयार कर रही हैं, ताकि वो AI वाली जॉब्स पकड़ सकें। और भाई, स्टार्टअप्स का तो अलग ही सीन है — रोज़-रोज़ नए AI वाले आइडियाज़ लेकर नए-नए वेंचर निकल रहे हैं।
चुनौतियाँ और समाधान
AI इंडिया में धड़ाधड़ नई जॉब्स निकाल रही है, लेकिन इसके साथ कई टेंशन भी खड़ी हो रही हैं। अगर इन दिक्कतों का टाइम पर सॉल्यूशन निकाला गया, तो AI हमारे लिए बहुत बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
अब प्रॉब्लम ये है कि ज्यादातर यंगस्टर्स अभी भी वही पुरानी पढ़ाई करके निकल रहे हैं, जबकि AI वाली नौकरियों के लिए उन्हें डिजिटल और टेक्निकल स्किल्स चाहिए। इससे जॉब्स और स्किल्स के बीच का गैप और भी बढ़ सकता है।
इस गैप को भरने के लिए गवर्नमेंट और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग वाले प्रोग्राम्स चलाने पड़ेंगे। इससे जो लोग पहले से काम कर रहे हैं, उन्हें नई टेक्नॉलजी सीखने में आसानी होगी और उनकी नौकरी भी सेफ रहेगी।
AI का इस्तेमाल जितनी तेज़ी से फैल रहा है, उतना ही ज़रूरी है कि इसके लिए क्लियर पॉलिसीज़ और रूल्स बनें। तभी डेटा सेफ़्टी, ट्रांसपेरेंसी और एथिकल यूज़ का भरोसा मिलेगा।
निष्कर्ष
देख भाई, AI इंडिया के लिए मिक्स्ड पैकेज है। एक तरफ़ तो ये पुरानी वाली जॉब्स (जैसे कस्टमर सपोर्ट, डेटा एंट्री, मैन्युफैक्चरिंग) पर सीधा अटैक कर रही है, दूसरी तरफ़ नए-नए मौके भी खोल रही है — जैसे AI डेवलपमेंट, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और रोबोटिक्स।
अब फायदा ये है कि इंडिया के पास यंग पॉप्युलेशन है और IT सेक्टर वैसे भी स्ट्रॉन्ग है। तो अगर सही चाल चली जाए, तो हम गेम में आगे रह सकते हैं।
लेकिन असली फंडा ये है कि हम अपने यंगस्टर्स को कितनी जल्दी और ढंग से री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग करवा पाते हैं, और साथ में क्लियर पॉलिसीज़ भी बनाते हैं। अगर ये सब टाइम पर हो गया, तो AI से जॉब क्राइसिस नहीं आएगा, उल्टा इंडिया की इकॉनमी और लीडरशिप लेवल और ऊपर चला जाएगा।
FAQ:
1. क्या AI से इंडिया में जॉब्स खत्म हो जाएँगी?
पूरी तरह तो नहीं यार। हाँ, कुछ पुरानी और रिपीट वाली जॉब्स जाएँगी, लेकिन टेक्नॉलजी और डिजिटल फील्ड्स में नई जॉब्स धड़ाधड़ आएँगी।
2. सबसे ज़्यादा कौन-सी जॉब्स पर असर पड़ेगा?
कस्टमर सपोर्ट, डेटा एंट्री, मैन्युफैक्चरिंग, बैंकिंग बैक-ऑफिस, और ट्रांसपोर्ट वाली जॉब्स सबसे पहले हिलेंगी।
3. AI किन जगहों पर नए मौके खोलेगी?
AI डेवलपमेंट, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक्स और डिजिटल मार्केटिंग में नए-नए चांस मिलेंगे।
4. इंडिया में AI से कितनी नई जॉब्स बन सकती हैं?
NASSCOM की रिपोर्ट बोलती है कि 2026 तक करीब 9 लाख नई जॉब्स AI और इससे जुड़ी टेक्नॉलजी की वजह से क्रिएट होंगी।
5. AI से जुड़ी प्रॉब्लम्स को कैसे सॉल्व किया जाए?
सिंपल — री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग प्रोग्राम्स चलाने होंगे, गवर्नमेंट को मज़बूत पॉलिसीज़ बनानी होंगी, और AI का यूज़ सेफ़्टी व एथिक्स के हिसाब से करना होगा।
6. स्टूडेंट्स और यंगस्टर्स को क्या करना चाहिए?
भाई, डिजिटल स्किल्स, कोडिंग, डेटा एनालिटिक्स और AI टूल्स की ट्रेनिंग ले लो। इससे फ्यूचर की जॉब्स के लिए रेडी रहोगे।
Author- Deepa Rajpoot is a Passionate Tech Blogger Who Shares Easy-to-Understand Content on Technology, Social Media, Mobile Gadgets, and Online Earning Tips. Through His Website VK Technical Bhaiya, He Aims to Make Digital Knowledge Simple and Useful for Everyone.